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अजा एकादशी व्रत कथा

अगस्त 12, 2020 Add Comment

Aja ekadashi vrat katha

aja ekadashi vrat katha

प्रश्न - क्या एकादशी अच्छा दिन होता है? ( is ekadashi a good day )


उत्तर- हिन्दू ग्रंथो के हिसाब से प्रत्येक तिथि और वार का हमारे मन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तिथि के प्रभाव को जानकर ही व्रत और त्योहार बनाए गए,  जिसको करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। एकादशी तिथि चंद्र से संबंधित है, इस तिथि पर व्रत रखकर मात्र फलाहार का ही सेवन करना लाभदायक माना जाता है। एकादशी के दिन बनने वाला सूर्य और चंद्र के कोण के कारण एकादशी का दिन अच्छा दिन माना जाता है।

प्रश्न - एकादशी क्यों महत्वपूर्ण है ? ( why ekadashi is important )

उत्तर - कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति और जीवन की सभी परेशानियों को दूर करने के लिए एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए इस व्रत का उतना ही महत्व होता है जितना 88000 ब्राह्मणों को भोजन कराने का होता है ।  हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी तिथि को हरि दिन तथा हरि वासर के नाम से भी जाना जाता है शास्त्रों में एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं माना गया है।

प्रश्न - इस महीने की एकादशी कब है ? ( ekadashi of this month, ekadashi in july 2020 )


उतर  -  इस महीने की एकादशी 15 अगस्त को है । यह भादो मास के प्रथम पक्ष में आता है इसे अजा एकादशी या अन्नदा एकादशी के नाम से जाना जाता है ।

प्रश्न -  अजा एकादशी व्रत क्या है ? ( what is aja ekadashi )

उत्तर - वैसे तो साल में कुल 24 एकादशी होती है लेकिन 2020 में कुल 25 एकादशी है जिसमें भादो कृष्ण पक्ष की एकादशी भी प्रमुख एकादशी है इसे अजा एकादशी,   अन्नदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है !

प्रश्न - अजा एकादशी व्रत की तिथि और समय क्या है ? ( aja ekadashi date and time )

उत्तर- 15 अगस्त को दिनभर व्रत रखने के बाद अजा एकादशी का पारण मुहूर्त 16 अगस्त को 05.50.59 से 08.28.36 तक ।

प्रश्न - अजा एकादशी का क्या महत्व है ? (  aja ekadashi ka mahatva )


उतरअजा एकादशी के श्रवण मात्र से ही अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है ! अजा एकादशी के व्रत से जीवो के जन्म जन्मांतर के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भाग्योदय होता है ।  व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है । इस व्रत में भगवान के प्रिय गाय और बछड़े का पूजन करना चाहिए तथा उन्हें गुण और घास भी खिलानी चाहिए ।

प्रश्न - अजा एकादशी व्रत कैसे करें ? ( aja ekadashi vrat kaise kare )

उत्तर-  व्रत रखने वाले को प्रातः काल उठ कर स्नानादि से निवृत्त होकर पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए । भगत भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करवाकर गंध पुष्प धूप दीप वगैरह समर्पित करें और उनकी आरती करें । भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है इसलिए उन्हें तुलसीदल अवश्य समर्पित करें । इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए और दान पुण्य करना चाहिए ।

प्रश्न - अजा एकादशी व्रत की कथा ( aja ekadashi vrat katha )

उत्तर - ऐसा माना जाता है कि राजा हरिश्चंद्र अपनी सत्य निष्ठा और ईमानदारी के लिए जाने जाते थे । एक बार देवताओं ने इनकी परीक्षा लेने की योजना बनाई राजा ने स्वप्न में देखा कि ऋषि विश्वामित्र को उन्होंने अपना राजपाट दान कर दिया है । अगले दिन राजा जब अपना राजपाट ऋषि विश्वामित्र को सौंप कर जाने लगे तो उन्होंने 500 स्वर्ण मुद्राएं दान मैं मांगी राजा समस्त राजपाट दान कर चुके थे इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी बेटा तथा खुद को बेच कर 500 सर मुद्राएं हासिल की और विश्वामित्र को दान में दिया राजा हरिश्चंद्र ने खुद को शमशान के चांडाल के हाथों बेचा था इसलिए उन्हें शमशान भूमि में दाह संस्कार के लिए कर वसूली का काम मिला ।
एकादशी तिथि के दिन राजा हरिश्चंद्र व्रत रखकर आधी रात को   शमशान के द्वार पर पहरा दे रहे थे । उसी समय उनकी पत्नी पुत्र का शव लिए हुए बिलखती हुई वहां पहुंची  ।राजा हरिश्चंद्र धर्म पालन करते हुए अपनी पत्नी से दाह संस्कार हेतु कर मांगे  ।उनकी स्त्री ने अपनी साड़ी का आधा हिस्सा देकर कर चुकाया । यह देखकर भगवान प्रकट हुए और उन्होंने राजा हरिश्चंद्र की सत्य के प्रति निष्ठा देखकर प्रसन्न होकर कहा कि आप परीक्षा में पास हो गए और उसने राजा के बेटा को जीवित कर दिया और विश्वामित्र ने भी उनका राजपाट लौटा दिया।
यह सब राजा के अजा एकादशी व्रत का प्रभाव था  । इसलिए एकादशी का व्रत करना चाहिए ।

प्रश्न - अजा एकादशी व्रत-कथा वीडियो का लिंक ( aja ekadashi vrat katha video )

उत्तर - अजा एकादशी व्रत-कथा सुनाने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। 

प्रश्न - अजा एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए ? ( what to eat on aja ekadashi )

उत्तर - अजा एकादशी तिथि का व्रत निराहार रखने से इसका लाभ व्रतीको अधिक मिलता है। फिर भी एकादशी का व्रत करने वाले व्रती बिना खाए पिए नहीं रह सकते हैं तो इन पदार्थों का सेवन किया जा सकता है ताजे फल में वे चीनी कुट्टू नारियल जैतून दूध अदरक काली मिर्च सेंधा नमक आलू साबूदाना शकरकंद आदि ।

प्रश्न - अजा एकादशी के दिन क्या नहीं खाना चाहिए ? ( Q. - aja ekadashi what not to eat )

उतर - अजा एकादशी के दिन जो मसूर की दाल, बैगन, सेम, फली, चावल और अन्य अनाज नहीं खाना चाहिए। मीठा पान भी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह भगवान विष्णु को पूजा में चढ़ाया जाता है। मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसी तामसी चीजें बिलकुल नहीं। 

प्रश्न - एकादशी की आरती क्या है ? (  aja ekadashi ki aarti )

उतर - एकादशी को यह आरती भी गयी जाती है :------

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
जो ध्यावे फल पावे दुख बिनसे मन का।  
सुख संपति घर आवे कष्ट मिटे तन का। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी ?
तुम बिन और न दूजा आस करूं किसकी ?
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम पूरण परमात्मा तुम अंतर्यामी। 
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। 
मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता । 
ओम जय जगदीश हरे।। 
तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति। 
किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति ।
ओम जय जगदीश हरे।। 
दीनबंधु दुखहर्ता तुम ठाकुर मेरे। 
अपने हाथ उठाओ द्वार खड़ा तेरे। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा। 
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा।
ओम जय जगदीश हरे।।
 तन मन धन सब कुछ है तेरा। 
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।
ओम जय जगदीश हरे।।

अजा एकादशी की आरती वीडियो (  aja ekadashi ki aarti )

अजा एकादशी की आरती का वीडियो चलाने के लिए यहाँ क्लिक करें :-----

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एकादशी की तिथि : पवित्र और फलदायी

जुलाई 26, 2020 Add Comment

 Why Ekadashi is important?


 why ekadashi is important ?

एकादशी की उत्पत्ति ( why ekadashi is important ? )


हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि बहुत ही पवित्र और फलदायी तिथि मानी जाती है। हिंदू पंचाग की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते है। इसका नाम ग्यारस या ग्यास भी है।  एकादशी तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 121 डिग्री से 132 डिग्री अंश तक होता है। वहीं कृष्ण पक्ष में एकादशी तिथि का निर्माण सूर्य और चंद्रमा का अंतर 301 से 312 डिग्री अंश तक होता है।

कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष 


प्रत्येक मास में दो बार एकादशी की तिथि आती है, एक कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष में। इस प्रकार प्रत्येक वर्ष में 24 एकादशी की  तिथियां आती हैं, जिनमे व्रत, दान-पुण्य, शुभ कर्म आवश्यक माने जाते हैं। अधिमास या मलमास वाले वर्ष में एकादशियों की संख्या 26 हो जाती है। माना जाता है कि इस कला में अमृत का पान उमादेवी करती हैं।

दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी


अन्य हिन्दू त्योहारों की तरह ही कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है. हर व्रत की तरह ही जब एकादशी व्रत दो दिन होता है, तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन और दूसरे दिन वाली एकादशी को सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को करनी चाहिए।  जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं.



एकादशी तिथि का शुभ-अशुभ योग ( ekadashi tithi ka yog )


यदि रविवार और मंगलवार को एकादशी तिथि पड़ जाये तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित है। इसके अलावा शुक्रवार को एकादशी तिथि पड़ जाए तो सिद्धा कहलाती है। ऐसे समय कार्य सिद्धि की प्राप्ति होती है। यदि सोमवार को एकादशी पड़ जाये तो क्रकच योग बनाती है ये भी अशुभ माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य निषिद्ध होते हैं।

पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार मुर नामक एक दैत्य ने बहुत आतंक मचा रखा था। भगवान् विष्णु ने उसके साथ युद्ध किया लेकिन लड़ते लड़ते उन्हें नींद आ गयी।  विष्णु शयन के लिये चले गये तो मुर ने मौके का फायदा उठाना चाहा।  तब भगवान विष्णु से ही एक देवी प्रकट हुई और उन्होंने मुर के साथ युद्ध आरंभ कर दिया। उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।  वह तिथि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की तिथि थी। मान्यता है कि उस दिन भगवान विष्णु से एकादशी ने वरदान मांगा था, जो भी एकादशी का व्रत करेगा उसका कल्याण होगा, उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। तभी से प्रत्येक मास की एकादशी का व्रत की परंपरा आरंभ हुई।

एकादशी तिथि का महत्व 


उतर -स्कंद पुराण के अनुसार मान्यता है कि इस व्रत को करने से दिवंगत पूर्वजों की आत्मा को शांति और मुक्ति की प्राप्ति होती है ।


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