एकादशी की तिथि : पवित्र और फलदायी

जुलाई 26, 2020

 Why Ekadashi is important?


 why ekadashi is important ?

एकादशी की उत्पत्ति ( why ekadashi is important ? )


हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि बहुत ही पवित्र और फलदायी तिथि मानी जाती है। हिंदू पंचाग की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते है। इसका नाम ग्यारस या ग्यास भी है।  एकादशी तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 121 डिग्री से 132 डिग्री अंश तक होता है। वहीं कृष्ण पक्ष में एकादशी तिथि का निर्माण सूर्य और चंद्रमा का अंतर 301 से 312 डिग्री अंश तक होता है।

कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष 


प्रत्येक मास में दो बार एकादशी की तिथि आती है, एक कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष में। इस प्रकार प्रत्येक वर्ष में 24 एकादशी की  तिथियां आती हैं, जिनमे व्रत, दान-पुण्य, शुभ कर्म आवश्यक माने जाते हैं। अधिमास या मलमास वाले वर्ष में एकादशियों की संख्या 26 हो जाती है। माना जाता है कि इस कला में अमृत का पान उमादेवी करती हैं।

दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी


अन्य हिन्दू त्योहारों की तरह ही कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है. हर व्रत की तरह ही जब एकादशी व्रत दो दिन होता है, तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन और दूसरे दिन वाली एकादशी को सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को करनी चाहिए।  जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं.



एकादशी तिथि का शुभ-अशुभ योग ( ekadashi tithi ka yog )


यदि रविवार और मंगलवार को एकादशी तिथि पड़ जाये तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित है। इसके अलावा शुक्रवार को एकादशी तिथि पड़ जाए तो सिद्धा कहलाती है। ऐसे समय कार्य सिद्धि की प्राप्ति होती है। यदि सोमवार को एकादशी पड़ जाये तो क्रकच योग बनाती है ये भी अशुभ माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य निषिद्ध होते हैं।

पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार मुर नामक एक दैत्य ने बहुत आतंक मचा रखा था। भगवान् विष्णु ने उसके साथ युद्ध किया लेकिन लड़ते लड़ते उन्हें नींद आ गयी।  विष्णु शयन के लिये चले गये तो मुर ने मौके का फायदा उठाना चाहा।  तब भगवान विष्णु से ही एक देवी प्रकट हुई और उन्होंने मुर के साथ युद्ध आरंभ कर दिया। उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।  वह तिथि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की तिथि थी। मान्यता है कि उस दिन भगवान विष्णु से एकादशी ने वरदान मांगा था, जो भी एकादशी का व्रत करेगा उसका कल्याण होगा, उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। तभी से प्रत्येक मास की एकादशी का व्रत की परंपरा आरंभ हुई।

एकादशी तिथि का महत्व 


उतर -स्कंद पुराण के अनुसार मान्यता है कि इस व्रत को करने से दिवंगत पूर्वजों की आत्मा को शांति और मुक्ति की प्राप्ति होती है ।


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