परिवर्तिनी एकादशी कथा

अगस्त 27, 2020 Add Comment

परिवर्तिनी एकादशी कथा




प्रश्न - क्या एकादशी अच्छा दिन होता है? ( is ekadashi a good day )


उत्तर- हिन्दू ग्रंथो के हिसाब से प्रत्येक तिथि और वार का हमारे मन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तिथि के प्रभाव को जानकर ही व्रत और त्योहार बनाए गए,  जिसको करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। एकादशी तिथि चंद्र से संबंधित है, इस तिथि पर व्रत रखकर मात्र फलाहार का ही सेवन करना लाभदायक माना जाता है। एकादशी के दिन बनने वाला सूर्य और चंद्र के कोण के कारण एकादशी का दिन अच्छा दिन माना जाता है।

प्रश्न - एकादशी क्यों महत्वपूर्ण है ? ( why ekadashi is important )

उत्तर - कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति और जीवन की सभी परेशानियों को दूर करने के लिए एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए इस व्रत का उतना ही महत्व होता है जितना 88000 ब्राह्मणों को भोजन कराने का होता है ।  हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी तिथि को हरि दिन तथा हरि वासर के नाम से भी जाना जाता है शास्त्रों में एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं माना गया है।

प्रश्न - इस महीने की एकादशी कब है ? ( ekadashi of this month, ekadashi in july 2020 )


उतर  -  इस महीने की एकादशी 29 अगस्त 2020 को है ।  28 अगस्त को सुबह 08:38 से 29 अगस्त को सुबह08:17 बजे तक है । भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को सभी मनोकामनाओ को पूर्ण करने वाला व्रत माना गया है !

प्रश्न -  परिवर्तिनी एकादशी व्रत क्या है ? ( what is parivartini ekadashi )

उत्तर - वैसे तो साल में कुल 24 एकादशी होती है लेकिन 2020 में कुल 25 एकादशी है ! भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है । वामन अवतार में ही तीन पग में विष्णु जी ने राजा बलि का सारा राजपाट नाप लिया था ।

इस दिन भगवान विष्णु शयन करते हुए अपना स्थान परिवर्तन करते हैं । इसलिए इस एकादशी को परिवर्तनी एकादशी कहते हैं । इस एकादशी को पदमा एकादशी और जयंती एकादशी भी कहते हैं ।

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी व्रत की तिथि और समय क्या है ? ( parivartini ekadashi date and time )

उत्तर- इस महीने की परिवर्तन एकादशी भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की 29 अगस्त 2020 दिन शनिवार को है । एकादशी का पारण द्वादशी के दिन पूजा करके किसी ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद ही किया जाता है ।

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी का क्या महत्व है ? (  parivartini ekadashi ka mahatva )


उतर -  परिवर्तिनी एकादशी को  नियम पूर्वक व्रत रखने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है  । इस दिन मां लक्ष्मी की भी पूजा करने से उनकी विशेष कृपा मिलती है । इस व्रत का फल वाजपेई यज्ञ के समान है ।

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी व्रत कैसे करें ? ( parivartini ekadashi vrat kaise kare )

उत्तर-  एकादशी का व्रत करने वालों को एकादशी से 1 दिन पहले ही सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए ताकि पेट में अनाज का अंश ना रहे । एकादशी के दिन सुबह सर्वप्रथम स्नानादि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें । भगवान के समक्ष धूप दीप जलाएं । भगवान विष्णु की पूजा में तिल का उपयोग किया जाता है । में तुलसी अवश्य अर्पित करें । पूरा समय भगवान विष्णु का स्मरण करें ।

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी व्रत की कथा ( parivartini ekadashi vrat katha )


उत्तर - श्री कृष्ण ने अर्जुन को पापों का नाश करने के लिए परिवर्तीनी एकादशी व्रत रखने के लिए कहा था ।

कथा के अनुसार त्रेता युग में बली नामक एक असुर था जो असुर होने के बावजूद धर्म-कर्म के कार्यों में सदैव लीन रहता था । अपने तप और भक्ति भाव से बली देवराज इंद्र की बराबरी में आ गया । उसकी भक्ति से सभी देवता गण घबरा गए ।

देवराज इंद्र को लगने लगा कि यदि बली को नहीं रोका गया तो वह स्वर्ग का राजा बन जाएगा । तब इंद्र ने भगवान विष्णु की शरण ली और रक्षा करने की प्रार्थना की । इसके बाद भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण किया । उसने विराट रूप धारण कर के एक पांव से पृथ्वी दूसरे पाव की एड़ी से स्वर्ग और पंजे से ब्रह्मलोक को नाप लिया ।

अब तीसरे पांव के लिए राजा बलि के पास कुछ भी ना बचा तो उसने अपना सिर आगे कर दिया । भगवान वामन ने तीसरा पैर उसके सिर पर रख दिया । राजा बलि से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए और उसे पाताल लोक का राजा बना दिया ।

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी व्रत-कथा वीडियो का लिंक ( parivartini ekadashi vrat katha video )

उत्तर - परिवर्तिनी एकादशी व्रत-कथा सुनाने के लिए  इस लिंक पर क्लिक करें। 

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए ? ( what to eat on parivartini ekadashi )

उत्तर -  एकादशी तिथि का व्रत निराहार रखने से इसका लाभ व्रती को अधिक मिलता है। फिर भी एकादशी का व्रत करने वाले व्रती बिना खाए पिए नहीं रह सकते हैं तो इन पदार्थों का सेवन किया जा सकता है ताजे फल में वे चीनी कुट्टू नारियल जैतून दूध अदरक काली मिर्च सेंधा नमक आलू साबूदाना शकरकंद आदि ।

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी के दिन क्या नहीं खाना चाहिए ? ( Q. - parivartini ekadashi what not to eat )

उतर - परिवर्तिनी एकादशी के दिन जो मसूर की दाल, बैगन, सेम, फली, चावल और अन्य अनाज नहीं खाना चाहिए। मीठा पान भी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह भगवान विष्णु को पूजा में चढ़ाया जाता है। मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसी तामसी चीजें बिलकुल नहीं। 

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी की आरती क्या है ? (Parivartini ekadashi ki aarti )

उतर - एकादशी को यह आरती भी गयी जाती है :------

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
जो ध्यावे फल पावे दुख बिनसे मन का।  
सुख संपति घर आवे कष्ट मिटे तन का। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी ?
तुम बिन और न दूजा आस करूं किसकी ?
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम पूरण परमात्मा तुम अंतर्यामी। 
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। 
मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता । 
ओम जय जगदीश हरे।। 
तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति। 
किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति ।
ओम जय जगदीश हरे।। 
दीनबंधु दुखहर्ता तुम ठाकुर मेरे। 
अपने हाथ उठाओ द्वार खड़ा तेरे। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा। 
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा।
ओम जय जगदीश हरे।।
 तन मन धन सब कुछ है तेरा। 
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।
ओम जय जगदीश हरे।।

परिवर्तिनी एकादशी की आरती वीडियो (  parivartini ekadashi ki aarti )

अजा एकादशी की आरती का वीडियो चलाने के लिए यहाँ क्लिक करें :-----

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अजा एकादशी व्रत कथा

अगस्त 12, 2020 Add Comment

Aja ekadashi vrat katha

aja ekadashi vrat katha

प्रश्न - क्या एकादशी अच्छा दिन होता है? ( is ekadashi a good day )


उत्तर- हिन्दू ग्रंथो के हिसाब से प्रत्येक तिथि और वार का हमारे मन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तिथि के प्रभाव को जानकर ही व्रत और त्योहार बनाए गए,  जिसको करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। एकादशी तिथि चंद्र से संबंधित है, इस तिथि पर व्रत रखकर मात्र फलाहार का ही सेवन करना लाभदायक माना जाता है। एकादशी के दिन बनने वाला सूर्य और चंद्र के कोण के कारण एकादशी का दिन अच्छा दिन माना जाता है।

प्रश्न - एकादशी क्यों महत्वपूर्ण है ? ( why ekadashi is important )

उत्तर - कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति और जीवन की सभी परेशानियों को दूर करने के लिए एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए इस व्रत का उतना ही महत्व होता है जितना 88000 ब्राह्मणों को भोजन कराने का होता है ।  हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी तिथि को हरि दिन तथा हरि वासर के नाम से भी जाना जाता है शास्त्रों में एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं माना गया है।

प्रश्न - इस महीने की एकादशी कब है ? ( ekadashi of this month, ekadashi in july 2020 )


उतर  -  इस महीने की एकादशी 15 अगस्त को है । यह भादो मास के प्रथम पक्ष में आता है इसे अजा एकादशी या अन्नदा एकादशी के नाम से जाना जाता है ।

प्रश्न -  अजा एकादशी व्रत क्या है ? ( what is aja ekadashi )

उत्तर - वैसे तो साल में कुल 24 एकादशी होती है लेकिन 2020 में कुल 25 एकादशी है जिसमें भादो कृष्ण पक्ष की एकादशी भी प्रमुख एकादशी है इसे अजा एकादशी,   अन्नदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है !

प्रश्न - अजा एकादशी व्रत की तिथि और समय क्या है ? ( aja ekadashi date and time )

उत्तर- 15 अगस्त को दिनभर व्रत रखने के बाद अजा एकादशी का पारण मुहूर्त 16 अगस्त को 05.50.59 से 08.28.36 तक ।

प्रश्न - अजा एकादशी का क्या महत्व है ? (  aja ekadashi ka mahatva )


उतरअजा एकादशी के श्रवण मात्र से ही अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है ! अजा एकादशी के व्रत से जीवो के जन्म जन्मांतर के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भाग्योदय होता है ।  व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है । इस व्रत में भगवान के प्रिय गाय और बछड़े का पूजन करना चाहिए तथा उन्हें गुण और घास भी खिलानी चाहिए ।

प्रश्न - अजा एकादशी व्रत कैसे करें ? ( aja ekadashi vrat kaise kare )

उत्तर-  व्रत रखने वाले को प्रातः काल उठ कर स्नानादि से निवृत्त होकर पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए । भगत भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करवाकर गंध पुष्प धूप दीप वगैरह समर्पित करें और उनकी आरती करें । भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है इसलिए उन्हें तुलसीदल अवश्य समर्पित करें । इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए और दान पुण्य करना चाहिए ।

प्रश्न - अजा एकादशी व्रत की कथा ( aja ekadashi vrat katha )

उत्तर - ऐसा माना जाता है कि राजा हरिश्चंद्र अपनी सत्य निष्ठा और ईमानदारी के लिए जाने जाते थे । एक बार देवताओं ने इनकी परीक्षा लेने की योजना बनाई राजा ने स्वप्न में देखा कि ऋषि विश्वामित्र को उन्होंने अपना राजपाट दान कर दिया है । अगले दिन राजा जब अपना राजपाट ऋषि विश्वामित्र को सौंप कर जाने लगे तो उन्होंने 500 स्वर्ण मुद्राएं दान मैं मांगी राजा समस्त राजपाट दान कर चुके थे इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी बेटा तथा खुद को बेच कर 500 सर मुद्राएं हासिल की और विश्वामित्र को दान में दिया राजा हरिश्चंद्र ने खुद को शमशान के चांडाल के हाथों बेचा था इसलिए उन्हें शमशान भूमि में दाह संस्कार के लिए कर वसूली का काम मिला ।
एकादशी तिथि के दिन राजा हरिश्चंद्र व्रत रखकर आधी रात को   शमशान के द्वार पर पहरा दे रहे थे । उसी समय उनकी पत्नी पुत्र का शव लिए हुए बिलखती हुई वहां पहुंची  ।राजा हरिश्चंद्र धर्म पालन करते हुए अपनी पत्नी से दाह संस्कार हेतु कर मांगे  ।उनकी स्त्री ने अपनी साड़ी का आधा हिस्सा देकर कर चुकाया । यह देखकर भगवान प्रकट हुए और उन्होंने राजा हरिश्चंद्र की सत्य के प्रति निष्ठा देखकर प्रसन्न होकर कहा कि आप परीक्षा में पास हो गए और उसने राजा के बेटा को जीवित कर दिया और विश्वामित्र ने भी उनका राजपाट लौटा दिया।
यह सब राजा के अजा एकादशी व्रत का प्रभाव था  । इसलिए एकादशी का व्रत करना चाहिए ।

प्रश्न - अजा एकादशी व्रत-कथा वीडियो का लिंक ( aja ekadashi vrat katha video )

उत्तर - अजा एकादशी व्रत-कथा सुनाने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। 

प्रश्न - अजा एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए ? ( what to eat on aja ekadashi )

उत्तर - अजा एकादशी तिथि का व्रत निराहार रखने से इसका लाभ व्रतीको अधिक मिलता है। फिर भी एकादशी का व्रत करने वाले व्रती बिना खाए पिए नहीं रह सकते हैं तो इन पदार्थों का सेवन किया जा सकता है ताजे फल में वे चीनी कुट्टू नारियल जैतून दूध अदरक काली मिर्च सेंधा नमक आलू साबूदाना शकरकंद आदि ।

प्रश्न - अजा एकादशी के दिन क्या नहीं खाना चाहिए ? ( Q. - aja ekadashi what not to eat )

उतर - अजा एकादशी के दिन जो मसूर की दाल, बैगन, सेम, फली, चावल और अन्य अनाज नहीं खाना चाहिए। मीठा पान भी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह भगवान विष्णु को पूजा में चढ़ाया जाता है। मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसी तामसी चीजें बिलकुल नहीं। 

प्रश्न - एकादशी की आरती क्या है ? (  aja ekadashi ki aarti )

उतर - एकादशी को यह आरती भी गयी जाती है :------

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
जो ध्यावे फल पावे दुख बिनसे मन का।  
सुख संपति घर आवे कष्ट मिटे तन का। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी ?
तुम बिन और न दूजा आस करूं किसकी ?
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम पूरण परमात्मा तुम अंतर्यामी। 
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। 
मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता । 
ओम जय जगदीश हरे।। 
तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति। 
किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति ।
ओम जय जगदीश हरे।। 
दीनबंधु दुखहर्ता तुम ठाकुर मेरे। 
अपने हाथ उठाओ द्वार खड़ा तेरे। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा। 
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा।
ओम जय जगदीश हरे।।
 तन मन धन सब कुछ है तेरा। 
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।
ओम जय जगदीश हरे।।

अजा एकादशी की आरती वीडियो (  aja ekadashi ki aarti )

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पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा

जुलाई 26, 2020 1 Comment

Putrada ekadashi vrat katha

putrada ekadashi vrat katha

प्रश्न - क्या एकादशी अच्छा दिन होता है? ( is ekadashi a good day )


उत्तर- हिन्दू ग्रंथो के हिसाब से प्रत्येक तिथि और वार का हमारे मन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तिथि के प्रभाव को जानकर ही व्रत और त्योहार बनाए गए,  जिसको करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। एकादशी तिथि चंद्र से संबंधित है, इस तिथि पर व्रत रखकर मात्र फलाहार का ही सेवन करना लाभदायक माना जाता है। एकादशी के दिन बनने वाला सूर्य और चंद्र के कोण के कारण एकादशी का दिन अच्छा दिन माना जाता है।

प्रश्न - एकादशी क्यों महत्वपूर्ण है ? ( why ekadashi is important )

उत्तर - कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति और जीवन की सभी परेशानियों को दूर करने के लिए एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए इस व्रत का उतना ही महत्व होता है जितना 88000 ब्राह्मणों को भोजन कराने का होता है ।

प्रश्न - इस महीने की एकादशी कब है ? ( ekadashi of this month, ekadashi in july 2020 )


उतर  -इस महीने की एकादशी 30 जुलाई 2020 को है यह श्रावण मास के द्वितीय पक्ष में आता है इसे पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है ।

प्रश्न -  पुत्रदा एकादशी व्रत क्या है ? ( what is putrada ekadashi )


उत्तर-पुत्रदा एकादशी व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है तथा इससे संबंधित परेशानियां दूर होती हैं इस व्रत का पुण्य वाजपेई यज्ञ के समान बताया गया है ।

प्रश्न - पुत्रदा एकादशी व्रत की तिथि और समय क्या है ? ( putrada ekadashi date and time )


उत्तर -पुत्रदा एकादशी 30 जुलाई 2020 को है यह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को सुबह 5:42 से शुरू हो जाएगा इसका समापन 31 जुलाई को 8:24 पर होगा पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण समय 5:42 सुबह से 8:24 शाम तक है ।

प्रश्न - पुत्रदा एकादशी का क्या महत्व है ? (  putrada ekadashi ka mahatva )


उतर -मान्यता है कि इस व्रत को करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है और संतान से संबंधित परेशानियां दूर होती है कहते हैं जो भक्त पुत्रदा एकादशी का व्रत पूरे तन मन से करते हैं उन्हें संतान सुख मिलता है ।

प्रश्न - पुत्रदा एकादशी व्रत कैसे करें ? ( putrada ekadashi vrat kaise kare )


उतर -  एकादशी के दिन प्रातः काल उठकर व्रत का संकल्प कर स्नान करके धूप दीप नैवेद्य से भगवान विष्णु के बाल गोपाल रूप की पूजा करनी चाहिए तथा रात में दीपदान करना चाहिए साथ ही रात्रि जागरण तथा भगवान विष्णु का भजन कीर्तन भी करना चाहिए ।

प्रश्न - पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा ( putrada ekadashi vrat katha )

उत्तर - इसकी कथा इस प्रकार है कि द्वापर युग में महिष्मति पूरी के राजा एक शांत और धार्मिक व्यक्ति थे, लेकिन पुत्र से वंचित थे।राजा के लोगों ने महामुनि लोमेश से राजा के बारे में पूछा तो उसने बताया कि राजा अपने पिछले जन्म में एक क्रूर और दरिद्र व्यापारी थे। श्रावण की एकादशी के दिन राजा गर्मी से प्यासे होने के कारण उसी तालाब पर पहुंचे जहां एक प्यासी गाय पानी पी रही थी। उसने गाय को रोककर खुद पानी पी लिया। इसी कृत्य के कारण राजा संतान हीन हैं। महामुनी ने बताया कि यदि राजा और उनके लोग पूरे विधि विधान से श्रावण एकादशी का व्रत करते हैं तो निश्चित रूप से संतान आशीर्वाद में मिलेगा। तब राजा ने अपने लोगों के साथ विधि-विधान से एकादशी का व्रत किया जिसके परिणाम स्वरुप उनकी रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया तब से श्रावण की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है।

प्रश्न - पुत्रदा एकादशी व्रत-कथा वीडियो का लिंक (  putrada ekadashi vrat katha video )

उत्तर - पुत्रदा एकादशी व्रत-कथा सुनाने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। 

प्रश्न - पुत्रदा एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए ? ( what to eat on putrada ekadashi )

उत्तर - पुत्रदा एकादशी तिथि का व्रत निराहार रखने से इसका लाभ व्रतीको अधिक मिलता है। फिर भी एकादशी का व्रत करने वाले व्रती बिना खाए पिए नहीं रह सकते हैं तो इन पदार्थों का सेवन किया जा सकता है ताजे फल में वे चीनी कुट्टू नारियल जैतून दूध अदरक काली मिर्च सेंधा नमक आलू साबूदाना शकरकंद आदि ।

प्रश्न - पुत्रदा एकादशी के दिन क्या नहीं खाना चाहिए ? ( Q. - putrada ekadashi what not to eat )

उतर -एकादशी के दिन जो मसूर की दाल, बैगन, सेम, फली, चावल और अन्य अनाज नहीं खाना चाहिए। मीठा पान भी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह भगवान विष्णु को पूजा में चढ़ाया जाता है। मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसी तामसी चीजें बिलकुल नहीं। 

प्रश्न - एकादशी की आरती क्या है ? (  putrada ekadashi ki aarti )

उतर - एकादशी को यह आरती भी गयी जाती है :------

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
जो ध्यावे फल पावे दुख बिनसे मन का।  
सुख संपति घर आवे कष्ट मिटे तन का। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी ?
तुम बिन और न दूजा आस करूं किसकी ?
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम पूरण परमात्मा तुम अंतर्यामी। 
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। 
मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता । 
ओम जय जगदीश हरे।। 
तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति। 
किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति ।
ओम जय जगदीश हरे।। 
दीनबंधु दुखहर्ता तुम ठाकुर मेरे। 
अपने हाथ उठाओ द्वार खड़ा तेरे। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा। 
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा।
ओम जय जगदीश हरे।।
 तन मन धन सब कुछ है तेरा। 
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।
ओम जय जगदीश हरे।।

पुत्रदा एकादशी की आरती वीडियो (  putrada ekadashi ki aarti )

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एकादशी की तिथि : पवित्र और फलदायी

जुलाई 26, 2020 Add Comment

 Why Ekadashi is important?


 why ekadashi is important ?

एकादशी की उत्पत्ति ( why ekadashi is important ? )


हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि बहुत ही पवित्र और फलदायी तिथि मानी जाती है। हिंदू पंचाग की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते है। इसका नाम ग्यारस या ग्यास भी है।  एकादशी तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 121 डिग्री से 132 डिग्री अंश तक होता है। वहीं कृष्ण पक्ष में एकादशी तिथि का निर्माण सूर्य और चंद्रमा का अंतर 301 से 312 डिग्री अंश तक होता है।

कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष 


प्रत्येक मास में दो बार एकादशी की तिथि आती है, एक कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष में। इस प्रकार प्रत्येक वर्ष में 24 एकादशी की  तिथियां आती हैं, जिनमे व्रत, दान-पुण्य, शुभ कर्म आवश्यक माने जाते हैं। अधिमास या मलमास वाले वर्ष में एकादशियों की संख्या 26 हो जाती है। माना जाता है कि इस कला में अमृत का पान उमादेवी करती हैं।

दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी


अन्य हिन्दू त्योहारों की तरह ही कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है. हर व्रत की तरह ही जब एकादशी व्रत दो दिन होता है, तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन और दूसरे दिन वाली एकादशी को सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को करनी चाहिए।  जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं.



एकादशी तिथि का शुभ-अशुभ योग ( ekadashi tithi ka yog )


यदि रविवार और मंगलवार को एकादशी तिथि पड़ जाये तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित है। इसके अलावा शुक्रवार को एकादशी तिथि पड़ जाए तो सिद्धा कहलाती है। ऐसे समय कार्य सिद्धि की प्राप्ति होती है। यदि सोमवार को एकादशी पड़ जाये तो क्रकच योग बनाती है ये भी अशुभ माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य निषिद्ध होते हैं।

पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार मुर नामक एक दैत्य ने बहुत आतंक मचा रखा था। भगवान् विष्णु ने उसके साथ युद्ध किया लेकिन लड़ते लड़ते उन्हें नींद आ गयी।  विष्णु शयन के लिये चले गये तो मुर ने मौके का फायदा उठाना चाहा।  तब भगवान विष्णु से ही एक देवी प्रकट हुई और उन्होंने मुर के साथ युद्ध आरंभ कर दिया। उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।  वह तिथि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की तिथि थी। मान्यता है कि उस दिन भगवान विष्णु से एकादशी ने वरदान मांगा था, जो भी एकादशी का व्रत करेगा उसका कल्याण होगा, उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। तभी से प्रत्येक मास की एकादशी का व्रत की परंपरा आरंभ हुई।

एकादशी तिथि का महत्व 


उतर -स्कंद पुराण के अनुसार मान्यता है कि इस व्रत को करने से दिवंगत पूर्वजों की आत्मा को शांति और मुक्ति की प्राप्ति होती है ।


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भारतीय पंचांग

जुलाई 26, 2020 Add Comment

Aaj ki tithi Panchang


आज पूरे विश्व में जो कैलेंडर प्रचलित है, वह सौर केलिन्डर है, जिसका आधार पृथ्वी की वार्षिक गति है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा ३६५ दिन, कुछ घंटों में करती है, उसी हिसाब से हमारा केलिन्डर ३६५ दिनों का होता है। आप कैलेंडर की किसी भी डेट से सौरमंडल में पृथ्वी की स्थिति और इसके हिसाब से मौसम की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय पंचांग की किसी तिथि से आप सूर्य के अलावा चन्द्रमा की भी जानकारी प्राप्त कर कर सकते हैं।

माना जाता है कि हिंदू पंचांग बनाने की शुरुआत वैदिक काल में ही हुई थी। उस वक्त सूर्य व नक्षत्र पर पंचांग आधारित होता था। बाद में इसमें चन्द्रमा की गति भी जोड़ी गयी। भारतीय कैलेंडर को पञ्चाङ्ग इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें एक तिथि के पाँच अंगों की जानकारी दी जाती है। ये अंग तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण हैं। इसके अतिरिक्त भी एक तिथि की कई जानकारी पंचागों में उल्लिखित होती हैं। पञ्चाङ्ग को समझने से पहले आइए भारतीय पंचांग की गणना को समझते हैं :-------


aaj ki tithi panchang

Aaj ka panchang aur tithi

वैदिक ज्योतिष से गत्यात्मक ज्योतिष तक सभी ज्योतिषीय गणना आसमान में ग्रहों की स्थिति और पंचांग पर ही आधारित होती है। 

सौर वर्ष ( Solar Year ) - 


सूर्य की संक्रांति से सौरमास का आरम्भ होता है। सूर्य की एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति का समय सौरमास कहलाता है। सौर मास १५ अप्रैल से शुरू होता है, इनके नाम मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्‍चिक, धनु, कुंभ, मकर, मीन हैं । १२ सौर मासों का एक सौर वर्ष होता है, यह 365 दिन का होता है।

चंद्र वर्ष ( Lunar Year )- 

एक सौर वर्ष में १२ महीने होते हैं। चन्द्रमा १२ बार पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इसलिए 12 महीनों का एक चंद्र-वर्ष होता है। पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उसी आधार पर १२ महीनों का नामकरण हुआ है, १२ चंद्र मासों के नाम - चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, अषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, अगहन, पौष, माघ और फाल्गुन। यह सौर वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा होता है, इसलिए तीन वर्षों में एक बार १३ महीने का साल बनाकर इसे सौर वर्ष के साथ कर दिया जाता है। बढे महीने को 'मलमास' या 'अधिमास' कहते हैं।

अयन ( Ayan ) - 


आसमान के ३६० डिग्री को दो अयन में बांटा गया है, उत्तरायण और दक्षिणायन। पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुके होने से सूर्य सापेक्ष इसकी स्थिति बदलती है। इस कारण सूर्योदय से सूर्यास्त तक सूर्य कभी हमें उत्तर दिशा से घूमते हुए, कभी दक्षिण दिशा से घूमते हुए दिखाई देते हैं। 

राशि ( Rashi )- 


भचक्र के ३६० डिग्री को ३०-३० डिग्री के १२ भाग में बाँटने से एक-एक राशि निकलती है। १२ राशियों का क्रम भी निश्चित होता है, मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन राशि का नामकरण किया गया है। ढाई वर्षों तक शनि , एक वर्ष तक बृहस्पति, एक-एक महीने सूर्य तथा ढाई-ढाई दिन चन्द्रमा सभी राशियों में विचरता है। राशि और नक्षत्र को पहचानने के लिए तारामंडल के विभिन्न रूपों को आधार बनाया गया है।

पक्ष ( Paksh )- 

महीने में एक बार सूर्य-चंद्र एक साथ अमावस को रहते हैं, फिर धीरे धीरे दूरी बनाते हुए पूर्णिमा को एक-दूसरे के सामने चले जाते हैं, 14 दिनो तक चन्द्रमा के सूर्य से बढ़ती हुई दूरी की इस यात्रा को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। उसके बाद फिर पूर्णिमा से अमावस तक 14 दिनों का कृष्णपक्ष तय होते होते एक हिंदी मास का चक्र पूरा होता है, जो चन्द्रमा द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा के समय पर आधारित है। शुक्ल पक्ष में चंद्र की कलाएँ बढ़ती हैं और कृष्ण पक्ष में घटती हैं। इसलिए पंचांग में आपको हर तिथि के सामने पक्ष जरूर लिखा मिलेगा।

पंचांग के पांच अंग ये हैं ( 5 Parts of Panchang ):---

तिथि ( Tithi )- 


एक दिन को तिथि कहा गया है जो सूर्य और चंद्र के डिग्री के अंतर उन्नीस घंटे से लेकर चौबीस घंटे तक का तय किया जाता है। तिथियों के नाम - पूर्णिमा (पूरनमासी), प्रतिपदा (पड़वा), द्वितीया (दूज), तृतीया (तीज), चतुर्थी (चौथ), पंचमी (पंचमी), षष्ठी (छठ), सप्तमी (सातम), अष्टमी (आठम), नवमी (नौमी), दशमी (दसम), एकादशी (ग्यारस), द्वादशी (बारस), त्रयोदशी (तेरस), चतुर्दशी (चौदस) और अमावस्या (अमावस) हैं

दिन ( Day )- 

इन 14 दिनों को फिर से दो भाग में बांटकर सात दिनों का सप्ताह बनाया गया है, सप्ताह के सातो वार(दिन) के नाम ग्रहों के नाम पर रखे गए हैं। हमारे पञ्चाङ्गों में हर वार एक दिन के सूर्योदय से दूसरे दिन के सूर्योदय पूर्व तक मन जाता है। आज कंप्यूटर के ज़माने के पंचागों में १२ बजे रात में ही वार के परिवर्तन की विवशता हो गयी है। वार सात हैं - रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार। पंचांग में आपको हर तिथि के सामने वार जरूर लिखा मिलेगा।

नक्षत्र ( Nakshatra ) - 

पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए चन्द्रमा २८ दिन में आसमान के ३६० डिग्री का सफर तय करता है। इस तरह प्रतिदिन चन्द्रमा १३ डिग्री २० मिनट की दूरी तय करता है, इस आधार पर ज्योतिष में आसमान को २७ भाग में बाँटकर एक नक्षत्र बनाया गया है। पञ्चाङ्ग में आपको हर तिथि के सामने वह नक्षत्र लिखा मिलेगा, जिसमे उस दिन चंद्रमा स्थित होगा।

योग ( Yog ) - 


सूर्य-चंद्र के 13 अंश 20 कला साथ चलने से एक योग होता है। 27 योगों के नाम क्रमश: इस प्रकार हैं:- विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति। इसकी चर्चा भी हर तिथि को की जाती है।

करण  ( Karan )- 

तिथि को दो भाग में बाँटने से एक करण निकलता हैं। इनकी संख्या ग्यारह है - बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न।


aaj ka panchang tithi bataye


प्रतिदिन का पंचांग देखने के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था इस वेबसाइट में की गयी है, आपलोग यहाँ से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं :--------

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All Ekadashi in 2020

जून 22, 2020 Add Comment
All Ekadashi in 2020


जनवरी से दिसंबर तक चलने वाली सभी एकादशियों के नाम निम्न प्रकार हैं --------
पौष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी या वैकुण्ठ एकादशी बोला जाता है। यह 06 जनवरी को 03:06 बजे शुरू होकर 07 जनवरी को 04:02 बजे समाप्त हुआ। 
माघ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को शीतला एकादशी बोला जाता है। यह 20  जनवरी को 02:51 बजे शुरू होकर 21 जनवरी को 02:05 बजे समाप्त हुआ । 
माघ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी बोला जाता है। यह 04 फरवरी को 21:49 बजे शुरू होकर 05 फरवरी को  21:30 समाप्त हुआ । 
फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी बोला जाता है। यह 18 फरवरी को 14:32 बजे शुरू होकर 19 फरवरी को 15:02 बजे समाप्त हुआ। 
फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी बोला जाता है। यह 05 मार्च को 13:18 बजे शुरू होकर 06 मार्च  11:47 बजे समाप्त हुआ। 
चैत्र महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी बोला जाता है। यह 19 मार्च को  04:26 से शुरू होकर 20 मार्च को 05:59 बजे समाप्त हुआ। 
चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी बोला जाता है। यह 04 अप्रैल को 00:58 बजे शुरू होकर 04 अप्रैल को 22:30 बजे समाप्त हुआ। 
बैशाख महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी बोला जाता है। यह 17 अप्रैल को 20:03 बजे शुरू होकर 18 अप्रैल को 22:17 बजे समाप्त हुआ। 
बैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी बोला जाता है। यह 03 मई को 09:09 बजे से शुरू होकर 04 मई को 06:12 बजे समाप्त हुआ। 
ज्येष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी बोला जाता है।  यह 17 मई को 12:42 बजे शुरू होकर 18 मई को 15:08 बजे समाप्त हुआ। 
ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी बोला जाता है। यह  01 जून को 14:57 बजे शुरू होकर 02 जून को 12:04 बजे समाप्त हुआ। 
आषाढ़ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी बोला जाता है। यह 16 जून को 05:40 बजे शुरू होकर 17 जून को 07:50 बजे समाप्त हुआ। 
आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी बोला जाता है। यह 30 जून को  19:49 बजे शुरू होकर 01 जुलाई को 17:29 बजे समाप्त हुआ। 
श्रावण महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका  एकादशी बोला जाता है। यह 15 जुलाई को 22:19 बजे से शुरू होकर 16 जुलाई को 23:44 बजे समाप्त हुआ। 
श्रावण महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी बोला जाता है। यह 30 जुलाई को 01:16 बजे शुरू होकर 30 जुलाई को 23:49 बजे समाप्त होगा। 
भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी बोला जाता है। यह  14 अगस्त को 14:01 बजे शुरू होकर 15 अगस्त को 14:20 बजे समाप्त होगा। 
भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी  एकादशी बोला जाता है। यह 28 अगस्त के 08:38 बजे से 29 अगस्त के 08:17 बजे तक रहेगा। 
आश्विन महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी बोला जाता है। यह 13 सितम्बर के 04:13 बजे से 14 सितम्बर के 03:16 बजे तक रहेगा। 
आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी बोला जाता है। यह 26 सितम्बर के 18:59 से 27 सितम्बर के 19:46 तक रहेगा।

आश्विन महीने की कृष्ण  पक्ष की एकादशी को परम एकादशी बोला जाता है। यह 12 अक्टूबर 2020 को 16:38 से लेकर 13 अक्टूबर 2020 को 14:35 तक रहेगा। 
आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापकुंशा एकादशी बोला जाता है। यह 26 अक्टूबर 2020 को 09:00  से लेकर 27  अक्टूबर 2020 को 10:46 तक रहेगा। 
कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी बोला जाता है। यह 11 नवंबर 2020 को 03:22 से शुरू होकर 12 नवंबर 2020 को 00:40 तक रहेगा। 
कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी बोला जाता है। यह 25 नवंबर को 02:42 से शुरू होकर 26 नवंबर 2020 को 05:10 तक रहेगा। 
मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्न एकादशी बोला जाता है। यह 10 दिसंबर 2020 को 12:51 से शुरू होकर 11  दिसंबर 2020 को 10:04 बजे तक रहेगा। 
मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी कोमोक्षदा  एकादशी बोला जाता है। यह 24 दिसंबर 2020 को 23:17 से शुरू होकर 26 दिसंबर को 01:54 को ख़त्म होगा।