papankusha ekadashi

अक्तूबर 25, 2020 Add Comment

papankusha ekadashi

Papankusha ekadashi

प्रश्न - क्या एकादशी अच्छा दिन होता है? ( is ekadashi a good day )


उत्तर- हिंदू पंचांग की 11वीं तिथि को एकादशी कहते हैं । प्रत्येक महीने में 2 एकादशी आती है एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में ।
एकादशी व्रत की बड़ी महिमा है । जो मनुष्य एकादशी का व्रत रखता है उसके पितृ और पूर्वज कु योनि को त्याग स्वर्ग लोग चले जाते हैं ।
एक ही दशा में रहते हुए अपने आराध्य देव का पूजन और वंदन करने की प्रेरणा देने वाला व्रत ही एकादशी व्रत कहलाता है  ।
हिन्दू ग्रंथो के हिसाब से प्रत्येक तिथि और वार का हमारे मन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तिथि के प्रभाव को जानकर ही व्रत और त्योहार बनाए गए,  जिसको करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। एकादशी तिथि चंद्र से संबंधित है, इस तिथि पर व्रत रखकर मात्र फलाहार का ही सेवन करना लाभदायक माना जाता है। एकादशी के दिन बनने वाला सूर्य और चंद्र के कोण के कारण एकादशी का दिन अच्छा दिन माना जाता है।

प्रश्न - पापाकुंशा एकादशी क्यों महत्वपूर्ण है ? ( why papankusha ekadashi is important )

उत्तर - कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति और जीवन की सभी परेशानियों को दूर करने के लिए एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए !
पापांकुशा एकादशी के व्रत से मनुष्य को अर्थ और मोक्ष की प्राप्ति होती है इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के संचित पाप नष्ट हो जाते हैं । इस दिन श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा तथा ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देना चाहिए । पापांकुशा एकादशी वैष्णव समाज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

प्रश्न - इस महीने की एकादशी कब है ? ( ekadashi of this month)

उत्तर - शुद्ध आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में पापांकुशा एकादशी 27 अक्टूबर दिन मंगलवार को है ।

प्रश्न -  पापांकुशा एकादशी व्रत क्या है ? ( what is papankusha ekadashi )

उत्तर -  शुद्ध आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में पापांकुशा एकादशी 27 अक्टूबर दिन मंगलवार को है ।

प्रश्न - पापांकुशा एकादशी व्रत की तिथि और समय क्या है ? ( papankusha ekadashi date and time )

उत्तरपापांकुशा एकादशी के पारण का शुभ मुहूर्त 28 अक्टूबर दिन बुधवार को सुबह से दोपहर 1:42 तक है ।

प्रश्न - पापांकुशा एकादशी का क्या महत्व है ? ( papankusha ekadashi ka mahatva )


उतर - परमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से दुर्लभ सिद्धियों की प्राप्ति होती है । परम दुर्लभ सिद्धियों के दाता होने के कारण ही इस एकादशी को परमा एकादशी के नाम से जाना जाता है । यह एकादशी धन सुख ऐश्वर्य की जननी और दुख दरिद्रता का नाश करने वाली है । इस एकादशी में स्वर्ण दान विद्यादान अन्न दान भूमि दान और गोदान करना चाहिए ।

प्रश्न - पापांकुशा एकादशी व्रत कैसे करें ? ( papankusha ekadashi vrat kaise kare )

उत्तर - इस एकादशी व्रत की विधि कठिन है । इस व्रत में एकादशी से अमावस्या तक पंच रात्रि व्रत किया जाता है जिसमें जल का त्याग किया जाता है । केवल भगवत चरणामृत लिया जाता है !
इस दिन प्रातः स्नानादि करके भगवान विष्णु के समक्ष बैठकर हाथ में जल और फल लेकर संकल्प करना चाहिए इसके पश्चात भगवान का पूजन करना चाहिए ।
5 दिनों तक विष्णु का स्नान करते हुए व्रत का पालन करना चाहिए । पांचवे दिन ब्राह्मण को भोजन करा कर दान दक्षिणा देकर स्वयं व्रती को भोजन करना चाहिए ।

प्रश्न - पापांकुशा एकादशी व्रत कथा ( papankusha ekadashi vrat katha )

उत्तर - प्राचीन काल में विंध्य पर्वत पर गोधन नामक एक महा क्रूर बहेलिया रहता था । उसने अपनी सारी जिंदगी हिंसा लूटपाट मद्यपान और झूठे भाषणों में व्यतीत कर । जब उसका अंतिम समय आया तब यमराज ने अपने दूतों को क्रो धन को लाने की आज्ञा दी । यमदूत ओ ने उसे बता दिया कि कल तुम्हारा अंतिम दिन है ।
मृत्यु के भय से भयभीत होकर वह बहे लिया महर्षि अंगिरा की शरण में पहुंचा । महर्षि ने दया दिखाकर उससे पापांकुशा एकादशी का व्रत करने को कहा । इस प्रकार पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से क्रूर बहेलिया को भगवान की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति हो गई ।

प्रश्न - पापांकुशा एकादशी व्रत-कथा वीडियो का लिंक ( papankusha ekadashi vrat katha video )

उत्तर -  पापांकुशा एकादशी व्रत-कथा सुनाने के लिए  इस लिंक पर क्लिक करें। 

प्रश्न - पापांशुका एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए ? ( what to eat on papankusha ekadashi )

उत्तर -  एकादशी में ताजे फल  मेवे कुट्टू नारियल जैतून दूध अदरक काली मिर्च सेंधा नमक आलू साबूदाना शकरकंद जैसा भोजन करना चाहिए । कुछ व्यक्ति यह व्रत बिना पानी पिए ही संपन्न करते हैं जिसे निर्जला एकादशी कहते हैं ।

प्रश्न - पापांकुशा एकादशी के दिन क्या नहीं खाना चाहिए ? ( papankusha ekadashi what not to eat )

उतर - पापांकुशा एकादशी के दिन जो मसूर की दाल, बैगन, सेम, फली, चावल और अन्य अनाज नहीं खाना चाहिए। मीठा पान भी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह भगवान विष्णु को पूजा में चढ़ाया जाता है। मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसी तामसी चीजें बिलकुल नहीं। 

प्रश्न  - पापांकुशा एकादशी में क्या नहीं करना चाहिए ?


उत्तर - एकादशी में वृक्षों के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए । घर की ज्यादा सफाई ना करें ताकि चीटियों या छोटे-छोटे जीवो के मरने का डर ना हो । बाल ना कटवाए। कम से कम बोलने की कोशिश करें ताकि मुंह से गलत शब्द निकलने की संभावना ना हो ।

प्रश्न - पापांकुशा एकादशी की आरती क्या है ? (Papankusha ekadashi ki aarti )

उतर - एकादशी को यह आरती भी गयी जाती है :------

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
जो ध्यावे फल पावे दुख बिनसे मन का।  
सुख संपति घर आवे कष्ट मिटे तन का। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी ?
तुम बिन और न दूजा आस करूं किसकी ?
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम पूरण परमात्मा तुम अंतर्यामी। 
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। 
मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता । 
ओम जय जगदीश हरे।। 
तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति। 
किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति ।
ओम जय जगदीश हरे।। 
दीनबंधु दुखहर्ता तुम ठाकुर मेरे। 
अपने हाथ उठाओ द्वार खड़ा तेरे। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा। 
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा।
ओम जय जगदीश हरे।।
 तन मन धन सब कुछ है तेरा। 
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।
ओम जय जगदीश हरे।।

पापांकुशा एकादशी की आरती वीडियो ( papankusha ekadashi ki aarti )


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परमा एकादशी

अक्तूबर 12, 2020 Add Comment
Parama ekadashi

प्रश्न - क्या एकादशी अच्छा दिन होता है? ( is ekadashi a good day )


उत्तर- हिन्दू ग्रंथो के हिसाब से प्रत्येक तिथि और वार का हमारे मन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तिथि के प्रभाव को जानकर ही व्रत और त्योहार बनाए गए,  जिसको करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। एकादशी तिथि चंद्र से संबंधित है, इस तिथि पर व्रत रखकर मात्र फलाहार का ही सेवन करना लाभदायक माना जाता है। एकादशी के दिन बनने वाला सूर्य और चंद्र के कोण के कारण एकादशी का दिन अच्छा दिन माना जाता है।

प्रश्न - एकादशी क्यों महत्वपूर्ण है ? ( why ekadashi is important )

उत्तर - कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति और जीवन की सभी परेशानियों को दूर करने के लिए एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए इस व्रत का उतना ही महत्व होता है जितना 88000 ब्राह्मणों को भोजन कराने का होता है ।  हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी तिथि को हरि दिन तथा हरि वासर के नाम से भी जाना जाता है शास्त्रों में एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं माना गया है।

प्रश्न - इस महीने की एकादशी कब है ? ( ekadashi of this month)

उत्तर - एकादशी तिथि का प्रारंभ 12 अक्टूबर 2020 को 4:38 पर है और इसका समापन 13 अक्टूबर 2020 को 2:00 बज के 35 मिनट पर है ।

प्रश्न -  परम एकादशी व्रत क्या है ? ( what is parama ekadashi )

उत्तर -  अधिक मास या पुरुषोत्तम मास में कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी परमा एकादशी के नाम से जानी जाती है । यह 13 अक्टूबर 2020 दिन मंगलवार को है ।

प्रश्न - परम एकादशी व्रत की तिथि और समय क्या है ? ( param ekadashi date and time )

उत्तरयह 13 सितम्बर के 04:13 बजे से 14 सितम्बर के 03:16 बजे तक रहेगा।  एकादशी का पारण द्वादशी के दिन पूजा करके किसी ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद ही किया जाता है ।

प्रश्न - परम एकादशी का क्या महत्व है ? ( param ekadashi ka mahatva )


उतर - परमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से दुर्लभ सिद्धियों की प्राप्ति होती है । परम दुर्लभ सिद्धियों के दाता होने के कारण ही इस एकादशी को परमा एकादशी के नाम से जाना जाता है । यह एकादशी धन सुख ऐश्वर्य की जननी और दुख दरिद्रता का नाश करने वाली है । इस एकादशी में स्वर्ण दान विद्यादान अन्न दान भूमि दान और गोदान करना चाहिए ।

प्रश्न - परम एकादशी व्रत कैसे करें ? ( parama ekadashi vrat kaise kare )

उत्तर - इस एकादशी व्रत की विधि कठिन है । इस व्रत में एकादशी से अमावस्या तक पंच रात्रि व्रत किया जाता है जिसमें जल का त्याग किया जाता है । केवल भगवत चरणामृत लिया जाता है !
इस दिन प्रातः स्नानादि करके भगवान विष्णु के समक्ष बैठकर हाथ में जल और फल लेकर संकल्प करना चाहिए इसके पश्चात भगवान का पूजन करना चाहिए ।
5 दिनों तक विष्णु का स्नान करते हुए व्रत का पालन करना चाहिए । पांचवे दिन ब्राह्मण को भोजन करा कर दान दक्षिणा देकर स्वयं व्रती को भोजन करना चाहिए ।

प्रश्न - परम एकादशी व्रत कथा ( param ekadashi vrat katha )

उत्तर - धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को परमा एकादशी के व्रत का महत्व बताया । प्राचीन काल में कामी पल्य नगर में सुमेधा नामक एक ब्राह्मण रहता था । उसकी स्त्री का नाम का नाम पवित्रा था जो परम सती और साध्वी थी । वे निर्धनता में जीवन निर्वाह करते हुए भी परम धार्मिक थे और अतिथि सेवा में तत्पर रहते थे । 1 दिन गरीबी से दुखी होकर ब्राह्मण ने परदेस जाने का विचार किया किंतु उनकी पत्नी ने कहा स्वामी धन और संतान पूर्व जन्म के दान से ही प्राप्त होते हैं । अतः आप चिंता ना करें । 1 दिन महर्षि को डि न्य उनके घर आए । ब्राह्मण दंपति ने तन मन से उनकी सेवा की । महर्षि ने उनकी दशा देखकर उन्हें परमा एकादशी का व्रत करने को कहा । उन्होंने कहा कि इस एकादशी के व्रत से यश राज कुबेर धनादेश बना है हरिश्चंद्र राजा हुआ है । ऐसा कह कर मुनि चले गए और सुमेधा ने पत्नी सहित यह व्रत किया । प्रातः काल 1 राजकुमार घोड़े पर चढ़कर आया और उसने सुमेधा को सर्व साधन संपन्न सर्व सुख समृद्ध कर एक अच्छा घर रहने को दिया । इसके बाद उनके समस्त दुख दूर हो गए ।

प्रश्न - परम एकादशी व्रत-कथा वीडियो का लिंक ( param ekadashi vrat katha video )

उत्तर -  परम एकादशी व्रत-कथा सुनाने के लिए  इस लिंक पर क्लिक करें। 

प्रश्न - परम एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए ? ( what to eat on param ekadashi )

उत्तर -  एकादशी में ताजे फल  मेवे कुट्टू नारियल जैतून दूध अदरक काली मिर्च सेंधा नमक आलू साबूदाना शकरकंद जैसा भोजन करना चाहिए । कुछ व्यक्ति यह व्रत बिना पानी पिए ही संपन्न करते हैं जिसे निर्जला एकादशी कहते हैं ।

प्रश्न - परम एकादशी के दिन क्या नहीं खाना चाहिए ? ( param ekadashi what not to eat )

उतर - परम एकादशी के दिन जो मसूर की दाल, बैगन, सेम, फली, चावल और अन्य अनाज नहीं खाना चाहिए। मीठा पान भी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह भगवान विष्णु को पूजा में चढ़ाया जाता है। मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसी तामसी चीजें बिलकुल नहीं। 

प्रश्न  - परम एकादशी में क्या नहीं करना चाहिए ?


उत्तर - एकादशी में वृक्षों के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए । घर की ज्यादा सफाई ना करें ताकि चीटियों या छोटे-छोटे जीवो के मरने का डर ना हो । बाल ना कटवाए। कम से कम बोलने की कोशिश करें ताकि मुंह से गलत शब्द निकलने की संभावना ना हो ।

प्रश्न - परम एकादशी की आरती क्या है ? (Param ekadashi ki aarti )

उतर - एकादशी को यह आरती भी गयी जाती है :------

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
जो ध्यावे फल पावे दुख बिनसे मन का।  
सुख संपति घर आवे कष्ट मिटे तन का। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी ?
तुम बिन और न दूजा आस करूं किसकी ?
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम पूरण परमात्मा तुम अंतर्यामी। 
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। 
मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता । 
ओम जय जगदीश हरे।। 
तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति। 
किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति ।
ओम जय जगदीश हरे।। 
दीनबंधु दुखहर्ता तुम ठाकुर मेरे। 
अपने हाथ उठाओ द्वार खड़ा तेरे। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा। 
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा।
ओम जय जगदीश हरे।।
 तन मन धन सब कुछ है तेरा। 
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।
ओम जय जगदीश हरे।।

परम एकादशी की आरती वीडियो param ekadashi ki aarti )


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पद्मिनी एकादशी व्रत कथा

सितंबर 22, 2020 Add Comment


 पद्मिनी एकादशी व्रत कथा

Padmini ekadashi vrat katha


प्रश्न - क्या एकादशी अच्छा दिन होता है? ( is ekadashi a good day )


उत्तर- हिन्दू ग्रंथो के हिसाब से प्रत्येक तिथि और वार का हमारे मन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तिथि के प्रभाव को जानकर ही व्रत और त्योहार बनाए गए,  जिसको करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। एकादशी तिथि चंद्र से संबंधित है, इस तिथि पर व्रत रखकर मात्र फलाहार का ही सेवन करना लाभदायक माना जाता है। एकादशी के दिन बनने वाला सूर्य और चंद्र के कोण के कारण एकादशी का दिन अच्छा दिन माना जाता है।

प्रश्न - एकादशी क्यों महत्वपूर्ण है ? ( why ekadashi is important )

उत्तर - कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति और जीवन की सभी परेशानियों को दूर करने के लिए एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए इस व्रत का उतना ही महत्व होता है जितना 88000 ब्राह्मणों को भोजन कराने का होता है ।  हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी तिथि को हरि दिन तथा हरि वासर के नाम से भी जाना जाता है शास्त्रों में एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं माना गया है।

प्रश्न - इस महीने की एकादशी कब है ? ( ekadashi of this month)

उत्तर - इस महीने की एकादशी 27 सितंबर 2020 दिन रविवार को है । एकादशी तिथि प्रारंभ 27 सितंबर 2020 को प्रातः 6:12 और समाप्त 28 सितंबर 2020 को 8:00 बजे तक है ।

प्रश्न -  पद्मिनी एकादशी व्रत क्या है ? ( what is padmini ekadashi )

उत्तर - पंचांग के अनुसार इस समय अधिक मास चल रहा है । अधिक मास में एकादशी का विशेष महत्व है । आश्विन मास की शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहा जाता है । अधिक मास भगवान विष्णु को समर्पित है । इसलिए इस एकादशी का महत्व बढ़ जाता है

प्रश्न - पद्मिनी एकादशी व्रत की तिथि और समय क्या है ? ( padmini ekadashi date and time )

उत्तर- यह 13 सितम्बर के 04:13 बजे से 14 सितम्बर के 03:16 बजे तक रहेगा।  एकादशी का पारण द्वादशी के दिन पूजा करके किसी ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद ही किया जाता है ।

प्रश्न - पद्मिनी एकादशी का क्या महत्व है ? (  padmini ekadashi ka mahatva )


उतर -  उत्तर -एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है महाभारत की कथा में भी एकादशी व्रत का वर्णन है । एकादशी का व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाता है और सभी मनो कामनाओं वह पूर्ण करता है !

पद्मिनी एकादशी का व्रत प्रभावशाली व्रत माना गया है । यह व्रत घर की कलह  का नाश करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है । में धन से संबंधित आने वाली समस्याओं को भी दूर करता है और रोग से मुक्ति दिलाता है ।

प्रश्न - पद्मिनी एकादशी व्रत कैसे करें ? ( indira ekadashi vrat kaise kare )

उत्तर - एकादशी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का विधि पूर्वक पूजन करना चाहिए । निर्जल व्रत रखकर इस दिन विष्णु पुराण का पाठ करना चाहिए । इस व्रत को सभी व्रतों में सचिन बताया गया है । रात्रि में जागरण करना चाहिए । व्रत का पारण द्वादशी तिथि में करें ।

प्रश्न - पद्मिनी एकादशी व्रत कथा ( padmimi ekadashi vrat katha )

उत्तर - पौराणिक कथा के अनुसार त्रेता युग में कीर्ति वीर्य नामक एक राजा थे । उनकी कई रानियां थी लेकिन किसी को कोई संतान नहीं था जिस कारण राजा और उनकी रानियां बहुत दुखी और परेशान रहते थे ।

किसी के सलाह देने पर राजा और उनकी समस्त रानियों ने कठोर तपस्या की जिससे राजा का शरीर कमजोर हो गया और कंकाल की तरह दिखाई देने लगा । इसके बाद भी कोई फल नहीं प्राप्त हुआ तो एक रानी ने देवी अनुसूया से संतान प्राप्ति का उपाय पूछा ।

देवी ने रानी को अधिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने के लिए कहा । व्रत की समाप्ति पर भगवान प्रकट हुए और वरदान दिया । कुछ समय बाद रानी ने एक वीर पुत्र को जन्म दिया जो कार्त वीर्य अर्जुन कहलाया । यह बालक आगे चलकर अत्यंत पराक्रमी राजा बना ।m

प्रश्न - पद्मिनी एकादशी व्रत-कथा वीडियो का लिंक ( padmini ekadashi vrat katha video )

उत्तर -  पद्मिनी एकादशी व्रत-कथा सुनाने के लिए  इस लिंक पर क्लिक करें। 

प्रश्न - पद्मिनी एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए ? ( what to eat on padmini ekadashi )

उत्तर -  एकादशी तिथि का व्रत निराहार रखने से इसका लाभ व्रती को अधिक मिलता है। फिर भी एकादशी का व्रत करने वाले व्रती बिना खाए पिए नहीं रह सकते हैं तो इन पदार्थों का सेवन किया जा सकता है ताजे फल में वे चीनी कुट्टू नारियल जैतून दूध अदरक काली मिर्च सेंधा नमक आलू साबूदाना शकरकंद आदि ।

प्रश्न - पद्मिनी एकादशी के दिन क्या नहीं खाना चाहिए ? ( padmini ekadashi what not to eat )

उतर - पद्मिनी एकादशी के दिन जो मसूर की दाल, बैगन, सेम, फली, चावल और अन्य अनाज नहीं खाना चाहिए। मीठा पान भी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह भगवान विष्णु को पूजा में चढ़ाया जाता है। मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसी तामसी चीजें बिलकुल नहीं। 


प्रश्न - पद्मिनी एकादशी की आरती क्या है ? (Padmini ekadashi ki aarti )

उतर - एकादशी को यह आरती भी गयी जाती है :------

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
जो ध्यावे फल पावे दुख बिनसे मन का।  
सुख संपति घर आवे कष्ट मिटे तन का। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी ?
तुम बिन और न दूजा आस करूं किसकी ?
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम पूरण परमात्मा तुम अंतर्यामी। 
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। 
मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता । 
ओम जय जगदीश हरे।। 
तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति। 
किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति ।
ओम जय जगदीश हरे।। 
दीनबंधु दुखहर्ता तुम ठाकुर मेरे। 
अपने हाथ उठाओ द्वार खड़ा तेरे। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा। 
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा।
ओम जय जगदीश हरे।।
 तन मन धन सब कुछ है तेरा। 
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।
ओम जय जगदीश हरे।।

पद्मिनी एकादशी की आरती वीडियो  padmini ekadashi ki aarti )

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इंदिरा एकादशी व्रत कथा

सितंबर 08, 2020 Add Comment

 

इंदिरा एकादशी व्रत कथा


प्रश्न - क्या एकादशी अच्छा दिन होता है? ( is ekadashi a good day )


उत्तर- हिन्दू ग्रंथो के हिसाब से प्रत्येक तिथि और वार का हमारे मन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तिथि के प्रभाव को जानकर ही व्रत और त्योहार बनाए गए,  जिसको करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। एकादशी तिथि चंद्र से संबंधित है, इस तिथि पर व्रत रखकर मात्र फलाहार का ही सेवन करना लाभदायक माना जाता है। एकादशी के दिन बनने वाला सूर्य और चंद्र के कोण के कारण एकादशी का दिन अच्छा दिन माना जाता है।

प्रश्न - एकादशी क्यों महत्वपूर्ण है ? ( why ekadashi is important )

उत्तर - कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति और जीवन की सभी परेशानियों को दूर करने के लिए एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए इस व्रत का उतना ही महत्व होता है जितना 88000 ब्राह्मणों को भोजन कराने का होता है ।  हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी तिथि को हरि दिन तथा हरि वासर के नाम से भी जाना जाता है शास्त्रों में एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं माना गया है।

प्रश्न - इस महीने की एकादशी कब है ? ( ekadashi of this month)

उतर - इस महीने की एकादशी13 सितंबर 2020 रविवार को है ।

प्रश्न -  इंदिरा एकादशी व्रत क्या है ? ( what is indira ekadashi )

उत्तर - इंदिरा एकादशी के व्रत की कथा पढ़ने और सुनने से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाते हैं और सब प्रकार के भोगों को भोग कर बैकुंठ को प्राप्त होते हैं । पितरों की आत्मा की शांति के लिए यह व्रत किया जाता है

प्रश्न - इंदिरा एकादशी व्रत की तिथि और समय क्या है ? ( indira ekadashi date and time )

उत्तर- यह 13 सितम्बर के 04:13 बजे से 14 सितम्बर के 03:16 बजे तक रहेगा।  एकादशी का पारण द्वादशी के दिन पूजा करके किसी ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद ही किया जाता है ।

प्रश्न - इंदिरा एकादशी का क्या महत्व है ? (  iindira ekadashi ka mahatva )


उतर -  इंदिरा एकादशी को  नियम पूर्वक व्रत रखने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है  । इस दिन मां लक्ष्मी की भी पूजा करने से उनकी विशेष कृपा मिलती है । इस व्रत का फल वाजपेई यज्ञ के समान है ।

प्रश्न - इंदिरा एकादशी व्रत कैसे करें ? ( indira ekadashi vrat kaise kare )

उत्तर-  एकादशी का व्रत करने वालों को एकादशी से 1 दिन पहले ही सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए ताकि पेट में अनाज का अंश ना रहे । एकादशी के दिन सुबह सर्वप्रथम स्नानादि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें । भगवान के समक्ष धूप दीप जलाएं । भगवान विष्णु की पूजा में तिल का उपयोग किया जाता है । में तुलसी अवश्य अर्पित करें । पूरा समय भगवान विष्णु का स्मरण करें ।

प्रश्न - इंदिरा एकादशी व्रत कथा ( indira ekadashi vrat katha )

उत्तर - प्राचीन काल में सतयुग में महिष्मति नगरी में इंद्रसेन नामक एक प्रतापी राजा शासन करते थे । राजा भगवान विष्णु के परम भक्त थे । एक दिन राजा की सभा में महर्षि नारद आए । राजा ने हाथ जोड़कर उन्हें आसन दिया । महर्षि नारद ने राजा से पूछा कि आपके साथ और कुशल पूर्वक तो हैं । राजा ने कहा मेरे राज्य में सब कुशल मंगल है कृपया अपने आगमन का कारण बताएं ।
तब महर्षि ने कहा कि मैं एक समय ब्रह्मलोक से यमलोक को गया । वहां श्रद्धा पूर्वक यमराज से पूजित होकर मैंने सत्यवान धर्मराज की प्रशंसा की । उसी सभा में धर्मात्मा तुम्हारे पिता को एकादशी का व्रत भंग होने के कारण देखा ।

उन्होंने संदेशा दिया है कि पूर्व जन्म में कोई विघ्न हो जाने के कारण मैं यमराज के निकट रह रहा हूं । अगर तुम आश्विन इंदिरा एकादशी का व्रत करो तो मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है ।
इतना सुनकर राजा ने कहा कि हे महर्षि इस व्रत की विधि मुझसे कहिए । नारद जी कहने लगे कि आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर श्रद्धा पूर्वक पितरों का श्राद्ध करें और एक बार भोजन करें ।

प्रातः काल होने पर एकादशी के दिन स्नान करके निराहार व्रत करें फिर शालिग्राम की मूर्ति के आगे विधि पूर्वक श्राद्ध करके ब्राह्मणों को फलाहार का भोजन कराएं और दक्षिणा दें । श्राद्ध से बचा हुआ भोजन सूंघकर गौ माता को दें फिर धूप दीप नैवेद्य से भगवान ऋषिकेश का पूजन करें ।

द्वादशी के दिन मौन रहकर बंधु बांधव सहित भोजन करें । इस विधि से व्रत करने पर तुम्हारे पिता अवश्य स्वर्ग लोक को जाएंगे । इतना कह कर नारद जी अंतर्धान हो गए ।
विधि पूर्वक राजा के इस व्रत को करने से आकाश से पुष्प वर्षा हुई और उनके पिता गरुड़ पर चढ़कर विष्णु लोक को ।
इसी व्रत के प्रभाव से राजा इंद्रसेन भी अपने पुत्र को सिंहासन पर बैठा कर स्वर्ग लोक को गए ।

प्रश्न - इंदिरा एकादशी व्रत-कथा वीडियो का लिंक ( indira ekadashi vrat katha video )

उत्तर - इंदिरा एकादशी व्रत-कथा सुनाने के लिए  इस लिंक पर क्लिक करें। 

प्रश्न - इंदिरा एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए ? ( what to eat on indira ekadashi )

उत्तर -  एकादशी तिथि का व्रत निराहार रखने से इसका लाभ व्रती को अधिक मिलता है। फिर भी एकादशी का व्रत करने वाले व्रती बिना खाए पिए नहीं रह सकते हैं तो इन पदार्थों का सेवन किया जा सकता है ताजे फल में वे चीनी कुट्टू नारियल जैतून दूध अदरक काली मिर्च सेंधा नमक आलू साबूदाना शकरकंद आदि ।

प्रश्न - इंदिरा एकादशी के दिन क्या नहीं खाना चाहिए ? ( Q. - parivartini ekadashi what not to eat )

उतर - इंदिरा एकादशी के दिन जो मसूर की दाल, बैगन, सेम, फली, चावल और अन्य अनाज नहीं खाना चाहिए। मीठा पान भी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह भगवान विष्णु को पूजा में चढ़ाया जाता है। मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसी तामसी चीजें बिलकुल नहीं। 

प्रश्न - इंदिरा एकादशी की आरती क्या है ? (Indira ekadashi ki aarti )

उतर - एकादशी को यह आरती भी गयी जाती है :------

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
जो ध्यावे फल पावे दुख बिनसे मन का।  
सुख संपति घर आवे कष्ट मिटे तन का। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी ?
तुम बिन और न दूजा आस करूं किसकी ?
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम पूरण परमात्मा तुम अंतर्यामी। 
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। 
मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता । 
ओम जय जगदीश हरे।। 
तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति। 
किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति ।
ओम जय जगदीश हरे।। 
दीनबंधु दुखहर्ता तुम ठाकुर मेरे। 
अपने हाथ उठाओ द्वार खड़ा तेरे। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा। 
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा।
ओम जय जगदीश हरे।।
 तन मन धन सब कुछ है तेरा। 
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।
ओम जय जगदीश हरे।।

इंदिरा एकादशी की आरती वीडियो (  indira ekadashi ki aarti )

 इंदिरा एकादशी की आरती का वीडियो चलाने के लिए यहाँ क्लिक करें :-----

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परिवर्तिनी एकादशी कथा

अगस्त 27, 2020 Add Comment

परिवर्तिनी एकादशी कथा




प्रश्न - क्या एकादशी अच्छा दिन होता है? ( is ekadashi a good day )


उत्तर- हिन्दू ग्रंथो के हिसाब से प्रत्येक तिथि और वार का हमारे मन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तिथि के प्रभाव को जानकर ही व्रत और त्योहार बनाए गए,  जिसको करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। एकादशी तिथि चंद्र से संबंधित है, इस तिथि पर व्रत रखकर मात्र फलाहार का ही सेवन करना लाभदायक माना जाता है। एकादशी के दिन बनने वाला सूर्य और चंद्र के कोण के कारण एकादशी का दिन अच्छा दिन माना जाता है।

प्रश्न - एकादशी क्यों महत्वपूर्ण है ? ( why ekadashi is important )

उत्तर - कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति और जीवन की सभी परेशानियों को दूर करने के लिए एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए इस व्रत का उतना ही महत्व होता है जितना 88000 ब्राह्मणों को भोजन कराने का होता है ।  हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी तिथि को हरि दिन तथा हरि वासर के नाम से भी जाना जाता है शास्त्रों में एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं माना गया है।

प्रश्न - इस महीने की एकादशी कब है ? ( ekadashi of this month, ekadashi in july 2020 )


उतर  -  इस महीने की एकादशी 29 अगस्त 2020 को है ।  28 अगस्त को सुबह 08:38 से 29 अगस्त को सुबह08:17 बजे तक है । भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को सभी मनोकामनाओ को पूर्ण करने वाला व्रत माना गया है !

प्रश्न -  परिवर्तिनी एकादशी व्रत क्या है ? ( what is parivartini ekadashi )

उत्तर - वैसे तो साल में कुल 24 एकादशी होती है लेकिन 2020 में कुल 25 एकादशी है ! भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है । वामन अवतार में ही तीन पग में विष्णु जी ने राजा बलि का सारा राजपाट नाप लिया था ।

इस दिन भगवान विष्णु शयन करते हुए अपना स्थान परिवर्तन करते हैं । इसलिए इस एकादशी को परिवर्तनी एकादशी कहते हैं । इस एकादशी को पदमा एकादशी और जयंती एकादशी भी कहते हैं ।

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी व्रत की तिथि और समय क्या है ? ( parivartini ekadashi date and time )

उत्तर- इस महीने की परिवर्तन एकादशी भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की 29 अगस्त 2020 दिन शनिवार को है । एकादशी का पारण द्वादशी के दिन पूजा करके किसी ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद ही किया जाता है ।

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी का क्या महत्व है ? (  parivartini ekadashi ka mahatva )


उतर -  परिवर्तिनी एकादशी को  नियम पूर्वक व्रत रखने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है  । इस दिन मां लक्ष्मी की भी पूजा करने से उनकी विशेष कृपा मिलती है । इस व्रत का फल वाजपेई यज्ञ के समान है ।

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी व्रत कैसे करें ? ( parivartini ekadashi vrat kaise kare )

उत्तर-  एकादशी का व्रत करने वालों को एकादशी से 1 दिन पहले ही सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए ताकि पेट में अनाज का अंश ना रहे । एकादशी के दिन सुबह सर्वप्रथम स्नानादि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें । भगवान के समक्ष धूप दीप जलाएं । भगवान विष्णु की पूजा में तिल का उपयोग किया जाता है । में तुलसी अवश्य अर्पित करें । पूरा समय भगवान विष्णु का स्मरण करें ।

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी व्रत की कथा ( parivartini ekadashi vrat katha )


उत्तर - श्री कृष्ण ने अर्जुन को पापों का नाश करने के लिए परिवर्तीनी एकादशी व्रत रखने के लिए कहा था ।

कथा के अनुसार त्रेता युग में बली नामक एक असुर था जो असुर होने के बावजूद धर्म-कर्म के कार्यों में सदैव लीन रहता था । अपने तप और भक्ति भाव से बली देवराज इंद्र की बराबरी में आ गया । उसकी भक्ति से सभी देवता गण घबरा गए ।

देवराज इंद्र को लगने लगा कि यदि बली को नहीं रोका गया तो वह स्वर्ग का राजा बन जाएगा । तब इंद्र ने भगवान विष्णु की शरण ली और रक्षा करने की प्रार्थना की । इसके बाद भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण किया । उसने विराट रूप धारण कर के एक पांव से पृथ्वी दूसरे पाव की एड़ी से स्वर्ग और पंजे से ब्रह्मलोक को नाप लिया ।

अब तीसरे पांव के लिए राजा बलि के पास कुछ भी ना बचा तो उसने अपना सिर आगे कर दिया । भगवान वामन ने तीसरा पैर उसके सिर पर रख दिया । राजा बलि से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए और उसे पाताल लोक का राजा बना दिया ।

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी व्रत-कथा वीडियो का लिंक ( parivartini ekadashi vrat katha video )

उत्तर - परिवर्तिनी एकादशी व्रत-कथा सुनाने के लिए  इस लिंक पर क्लिक करें। 

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए ? ( what to eat on parivartini ekadashi )

उत्तर -  एकादशी तिथि का व्रत निराहार रखने से इसका लाभ व्रती को अधिक मिलता है। फिर भी एकादशी का व्रत करने वाले व्रती बिना खाए पिए नहीं रह सकते हैं तो इन पदार्थों का सेवन किया जा सकता है ताजे फल में वे चीनी कुट्टू नारियल जैतून दूध अदरक काली मिर्च सेंधा नमक आलू साबूदाना शकरकंद आदि ।

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी के दिन क्या नहीं खाना चाहिए ? ( Q. - parivartini ekadashi what not to eat )

उतर - परिवर्तिनी एकादशी के दिन जो मसूर की दाल, बैगन, सेम, फली, चावल और अन्य अनाज नहीं खाना चाहिए। मीठा पान भी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह भगवान विष्णु को पूजा में चढ़ाया जाता है। मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसी तामसी चीजें बिलकुल नहीं। 

प्रश्न - परिवर्तिनी एकादशी की आरती क्या है ? (Parivartini ekadashi ki aarti )

उतर - एकादशी को यह आरती भी गयी जाती है :------

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
जो ध्यावे फल पावे दुख बिनसे मन का।  
सुख संपति घर आवे कष्ट मिटे तन का। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी ?
तुम बिन और न दूजा आस करूं किसकी ?
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम पूरण परमात्मा तुम अंतर्यामी। 
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। 
मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता । 
ओम जय जगदीश हरे।। 
तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति। 
किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति ।
ओम जय जगदीश हरे।। 
दीनबंधु दुखहर्ता तुम ठाकुर मेरे। 
अपने हाथ उठाओ द्वार खड़ा तेरे। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा। 
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा।
ओम जय जगदीश हरे।।
 तन मन धन सब कुछ है तेरा। 
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।
ओम जय जगदीश हरे।।

परिवर्तिनी एकादशी की आरती वीडियो (  parivartini ekadashi ki aarti )

अजा एकादशी की आरती का वीडियो चलाने के लिए यहाँ क्लिक करें :-----

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अजा एकादशी व्रत कथा

अगस्त 12, 2020 Add Comment

Aja ekadashi vrat katha

aja ekadashi vrat katha

प्रश्न - क्या एकादशी अच्छा दिन होता है? ( is ekadashi a good day )


उत्तर- हिन्दू ग्रंथो के हिसाब से प्रत्येक तिथि और वार का हमारे मन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तिथि के प्रभाव को जानकर ही व्रत और त्योहार बनाए गए,  जिसको करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। एकादशी तिथि चंद्र से संबंधित है, इस तिथि पर व्रत रखकर मात्र फलाहार का ही सेवन करना लाभदायक माना जाता है। एकादशी के दिन बनने वाला सूर्य और चंद्र के कोण के कारण एकादशी का दिन अच्छा दिन माना जाता है।

प्रश्न - एकादशी क्यों महत्वपूर्ण है ? ( why ekadashi is important )

उत्तर - कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति और जीवन की सभी परेशानियों को दूर करने के लिए एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए इस व्रत का उतना ही महत्व होता है जितना 88000 ब्राह्मणों को भोजन कराने का होता है ।  हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी तिथि को हरि दिन तथा हरि वासर के नाम से भी जाना जाता है शास्त्रों में एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं माना गया है।

प्रश्न - इस महीने की एकादशी कब है ? ( ekadashi of this month, ekadashi in july 2020 )


उतर  -  इस महीने की एकादशी 15 अगस्त को है । यह भादो मास के प्रथम पक्ष में आता है इसे अजा एकादशी या अन्नदा एकादशी के नाम से जाना जाता है ।

प्रश्न -  अजा एकादशी व्रत क्या है ? ( what is aja ekadashi )

उत्तर - वैसे तो साल में कुल 24 एकादशी होती है लेकिन 2020 में कुल 25 एकादशी है जिसमें भादो कृष्ण पक्ष की एकादशी भी प्रमुख एकादशी है इसे अजा एकादशी,   अन्नदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है !

प्रश्न - अजा एकादशी व्रत की तिथि और समय क्या है ? ( aja ekadashi date and time )

उत्तर- 15 अगस्त को दिनभर व्रत रखने के बाद अजा एकादशी का पारण मुहूर्त 16 अगस्त को 05.50.59 से 08.28.36 तक ।

प्रश्न - अजा एकादशी का क्या महत्व है ? (  aja ekadashi ka mahatva )


उतरअजा एकादशी के श्रवण मात्र से ही अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है ! अजा एकादशी के व्रत से जीवो के जन्म जन्मांतर के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भाग्योदय होता है ।  व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है । इस व्रत में भगवान के प्रिय गाय और बछड़े का पूजन करना चाहिए तथा उन्हें गुण और घास भी खिलानी चाहिए ।

प्रश्न - अजा एकादशी व्रत कैसे करें ? ( aja ekadashi vrat kaise kare )

उत्तर-  व्रत रखने वाले को प्रातः काल उठ कर स्नानादि से निवृत्त होकर पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए । भगत भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करवाकर गंध पुष्प धूप दीप वगैरह समर्पित करें और उनकी आरती करें । भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है इसलिए उन्हें तुलसीदल अवश्य समर्पित करें । इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए और दान पुण्य करना चाहिए ।

प्रश्न - अजा एकादशी व्रत की कथा ( aja ekadashi vrat katha )

उत्तर - ऐसा माना जाता है कि राजा हरिश्चंद्र अपनी सत्य निष्ठा और ईमानदारी के लिए जाने जाते थे । एक बार देवताओं ने इनकी परीक्षा लेने की योजना बनाई राजा ने स्वप्न में देखा कि ऋषि विश्वामित्र को उन्होंने अपना राजपाट दान कर दिया है । अगले दिन राजा जब अपना राजपाट ऋषि विश्वामित्र को सौंप कर जाने लगे तो उन्होंने 500 स्वर्ण मुद्राएं दान मैं मांगी राजा समस्त राजपाट दान कर चुके थे इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी बेटा तथा खुद को बेच कर 500 सर मुद्राएं हासिल की और विश्वामित्र को दान में दिया राजा हरिश्चंद्र ने खुद को शमशान के चांडाल के हाथों बेचा था इसलिए उन्हें शमशान भूमि में दाह संस्कार के लिए कर वसूली का काम मिला ।
एकादशी तिथि के दिन राजा हरिश्चंद्र व्रत रखकर आधी रात को   शमशान के द्वार पर पहरा दे रहे थे । उसी समय उनकी पत्नी पुत्र का शव लिए हुए बिलखती हुई वहां पहुंची  ।राजा हरिश्चंद्र धर्म पालन करते हुए अपनी पत्नी से दाह संस्कार हेतु कर मांगे  ।उनकी स्त्री ने अपनी साड़ी का आधा हिस्सा देकर कर चुकाया । यह देखकर भगवान प्रकट हुए और उन्होंने राजा हरिश्चंद्र की सत्य के प्रति निष्ठा देखकर प्रसन्न होकर कहा कि आप परीक्षा में पास हो गए और उसने राजा के बेटा को जीवित कर दिया और विश्वामित्र ने भी उनका राजपाट लौटा दिया।
यह सब राजा के अजा एकादशी व्रत का प्रभाव था  । इसलिए एकादशी का व्रत करना चाहिए ।

प्रश्न - अजा एकादशी व्रत-कथा वीडियो का लिंक ( aja ekadashi vrat katha video )

उत्तर - अजा एकादशी व्रत-कथा सुनाने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। 

प्रश्न - अजा एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए ? ( what to eat on aja ekadashi )

उत्तर - अजा एकादशी तिथि का व्रत निराहार रखने से इसका लाभ व्रतीको अधिक मिलता है। फिर भी एकादशी का व्रत करने वाले व्रती बिना खाए पिए नहीं रह सकते हैं तो इन पदार्थों का सेवन किया जा सकता है ताजे फल में वे चीनी कुट्टू नारियल जैतून दूध अदरक काली मिर्च सेंधा नमक आलू साबूदाना शकरकंद आदि ।

प्रश्न - अजा एकादशी के दिन क्या नहीं खाना चाहिए ? ( Q. - aja ekadashi what not to eat )

उतर - अजा एकादशी के दिन जो मसूर की दाल, बैगन, सेम, फली, चावल और अन्य अनाज नहीं खाना चाहिए। मीठा पान भी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह भगवान विष्णु को पूजा में चढ़ाया जाता है। मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसी तामसी चीजें बिलकुल नहीं। 

प्रश्न - एकादशी की आरती क्या है ? (  aja ekadashi ki aarti )

उतर - एकादशी को यह आरती भी गयी जाती है :------

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
जो ध्यावे फल पावे दुख बिनसे मन का।  
सुख संपति घर आवे कष्ट मिटे तन का। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी ?
तुम बिन और न दूजा आस करूं किसकी ?
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम पूरण परमात्मा तुम अंतर्यामी। 
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। 
मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता । 
ओम जय जगदीश हरे।। 
तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति। 
किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति ।
ओम जय जगदीश हरे।। 
दीनबंधु दुखहर्ता तुम ठाकुर मेरे। 
अपने हाथ उठाओ द्वार खड़ा तेरे। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा। 
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा।
ओम जय जगदीश हरे।।
 तन मन धन सब कुछ है तेरा। 
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।
ओम जय जगदीश हरे।।

अजा एकादशी की आरती वीडियो (  aja ekadashi ki aarti )

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पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा

जुलाई 26, 2020 1 Comment

Putrada ekadashi vrat katha

putrada ekadashi vrat katha

प्रश्न - क्या एकादशी अच्छा दिन होता है? ( is ekadashi a good day )


उत्तर- हिन्दू ग्रंथो के हिसाब से प्रत्येक तिथि और वार का हमारे मन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तिथि के प्रभाव को जानकर ही व्रत और त्योहार बनाए गए,  जिसको करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। एकादशी तिथि चंद्र से संबंधित है, इस तिथि पर व्रत रखकर मात्र फलाहार का ही सेवन करना लाभदायक माना जाता है। एकादशी के दिन बनने वाला सूर्य और चंद्र के कोण के कारण एकादशी का दिन अच्छा दिन माना जाता है।

प्रश्न - एकादशी क्यों महत्वपूर्ण है ? ( why ekadashi is important )

उत्तर - कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति और जीवन की सभी परेशानियों को दूर करने के लिए एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए इस व्रत का उतना ही महत्व होता है जितना 88000 ब्राह्मणों को भोजन कराने का होता है ।

प्रश्न - इस महीने की एकादशी कब है ? ( ekadashi of this month, ekadashi in july 2020 )


उतर  -इस महीने की एकादशी 30 जुलाई 2020 को है यह श्रावण मास के द्वितीय पक्ष में आता है इसे पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है ।

प्रश्न -  पुत्रदा एकादशी व्रत क्या है ? ( what is putrada ekadashi )


उत्तर-पुत्रदा एकादशी व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है तथा इससे संबंधित परेशानियां दूर होती हैं इस व्रत का पुण्य वाजपेई यज्ञ के समान बताया गया है ।

प्रश्न - पुत्रदा एकादशी व्रत की तिथि और समय क्या है ? ( putrada ekadashi date and time )


उत्तर -पुत्रदा एकादशी 30 जुलाई 2020 को है यह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को सुबह 5:42 से शुरू हो जाएगा इसका समापन 31 जुलाई को 8:24 पर होगा पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण समय 5:42 सुबह से 8:24 शाम तक है ।

प्रश्न - पुत्रदा एकादशी का क्या महत्व है ? (  putrada ekadashi ka mahatva )


उतर -मान्यता है कि इस व्रत को करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है और संतान से संबंधित परेशानियां दूर होती है कहते हैं जो भक्त पुत्रदा एकादशी का व्रत पूरे तन मन से करते हैं उन्हें संतान सुख मिलता है ।

प्रश्न - पुत्रदा एकादशी व्रत कैसे करें ? ( putrada ekadashi vrat kaise kare )


उतर -  एकादशी के दिन प्रातः काल उठकर व्रत का संकल्प कर स्नान करके धूप दीप नैवेद्य से भगवान विष्णु के बाल गोपाल रूप की पूजा करनी चाहिए तथा रात में दीपदान करना चाहिए साथ ही रात्रि जागरण तथा भगवान विष्णु का भजन कीर्तन भी करना चाहिए ।

प्रश्न - पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा ( putrada ekadashi vrat katha )

उत्तर - इसकी कथा इस प्रकार है कि द्वापर युग में महिष्मति पूरी के राजा एक शांत और धार्मिक व्यक्ति थे, लेकिन पुत्र से वंचित थे।राजा के लोगों ने महामुनि लोमेश से राजा के बारे में पूछा तो उसने बताया कि राजा अपने पिछले जन्म में एक क्रूर और दरिद्र व्यापारी थे। श्रावण की एकादशी के दिन राजा गर्मी से प्यासे होने के कारण उसी तालाब पर पहुंचे जहां एक प्यासी गाय पानी पी रही थी। उसने गाय को रोककर खुद पानी पी लिया। इसी कृत्य के कारण राजा संतान हीन हैं। महामुनी ने बताया कि यदि राजा और उनके लोग पूरे विधि विधान से श्रावण एकादशी का व्रत करते हैं तो निश्चित रूप से संतान आशीर्वाद में मिलेगा। तब राजा ने अपने लोगों के साथ विधि-विधान से एकादशी का व्रत किया जिसके परिणाम स्वरुप उनकी रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया तब से श्रावण की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है।

प्रश्न - पुत्रदा एकादशी व्रत-कथा वीडियो का लिंक (  putrada ekadashi vrat katha video )

उत्तर - पुत्रदा एकादशी व्रत-कथा सुनाने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। 

प्रश्न - पुत्रदा एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए ? ( what to eat on putrada ekadashi )

उत्तर - पुत्रदा एकादशी तिथि का व्रत निराहार रखने से इसका लाभ व्रतीको अधिक मिलता है। फिर भी एकादशी का व्रत करने वाले व्रती बिना खाए पिए नहीं रह सकते हैं तो इन पदार्थों का सेवन किया जा सकता है ताजे फल में वे चीनी कुट्टू नारियल जैतून दूध अदरक काली मिर्च सेंधा नमक आलू साबूदाना शकरकंद आदि ।

प्रश्न - पुत्रदा एकादशी के दिन क्या नहीं खाना चाहिए ? ( Q. - putrada ekadashi what not to eat )

उतर -एकादशी के दिन जो मसूर की दाल, बैगन, सेम, फली, चावल और अन्य अनाज नहीं खाना चाहिए। मीठा पान भी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह भगवान विष्णु को पूजा में चढ़ाया जाता है। मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसी तामसी चीजें बिलकुल नहीं। 

प्रश्न - एकादशी की आरती क्या है ? (  putrada ekadashi ki aarti )

उतर - एकादशी को यह आरती भी गयी जाती है :------

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
जो ध्यावे फल पावे दुख बिनसे मन का।  
सुख संपति घर आवे कष्ट मिटे तन का। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी ?
तुम बिन और न दूजा आस करूं किसकी ?
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम पूरण परमात्मा तुम अंतर्यामी। 
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी। 
ओम जय जगदीश हरे ।।
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। 
मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता । 
ओम जय जगदीश हरे।। 
तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति। 
किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति ।
ओम जय जगदीश हरे।। 
दीनबंधु दुखहर्ता तुम ठाकुर मेरे। 
अपने हाथ उठाओ द्वार खड़ा तेरे। 
ओम जय जगदीश हरे।। 
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा। 
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा।
ओम जय जगदीश हरे।।
 तन मन धन सब कुछ है तेरा। 
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।
ओम जय जगदीश हरे।।

पुत्रदा एकादशी की आरती वीडियो (  putrada ekadashi ki aarti )

पुत्रदा एकादशी की आरती का वीडियो चलाने के लिए यहाँ क्लिक करें :-----

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